इतिहास साक्षी है कि भारत की स्वतंत्रता के लिए भारतवासियों ने गत 1200 वर्षों में तुर्कों, मुगलों, पठानों और अंग्रेजों के विरुद्ध जमकर संघर्ष किया है। एक दिन भी परतंत्रता को स्वीकार न करने वाले भारतीयों ने आत्मबलिदान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी । मात्र अंग्रेजों के 150 वर्षों के कालखंड में हुए देशव्यापी स्वतंत्रता संग्राम में लाखों बलिदान दिए गये । परन्तु अमृतसर के जलियांवाला बाग में हुए सामूहिक आत्मबलिदान ने लाखों क्रांतिकारियों को जन्म देकर अंग्रेजों के ताबूत का शिलान्यास कर दिया । जलियांवाला बाग़ का वीभत्स हत्याकांड जहाँ अंग्रेजों द्वारा भारत में किये गये क्रूर अत्याचारों का जीता जागता सबूत है । वहीं ये भारतीयों द्वारा दी गयी असंख्य कुर्बानियों और आजादी के लिए तड़पते जज्बे का भी एक अनुपम उदाहरण है । कुछ एक क्षणों में सैकड़ों भारतीयों के प्राणोत्सर्ग का दृश्य तथाकथित सभ्यता और लोकतंत्र की दुहाई देने वाले अंग्रेजों के माथे पर लगाया गया ऐसा कलंक है जो कभी भी धोया नहीं जा सकता । यद्यपि इंग्लैण्ड की वर्तमान प्रधानमंत्री ने इस घटना के प्रति खेद तो जताया है लेकिन क्षमाय...