आपातकाल, पुलिसिया कहर और संघ ........ भाग 2 सत्ता प्रायोजित आतंकवाद नरेन्द्र सहगल इलाहबाद हाईकोर्ट द्वारा सजा मिलने के तुरंत बाद प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी ने अपने राजनीतिक अस्तित्व और सत्ता को बचाने के उद्देश्य से जब 25 जून 1975 को रात के 12 बजे आपातकाल की घोषणा की तो देखते देखते पूरा देश पुलिस स्टेट में परिवर्तित हो गया। सरकारी आदेशों के प्रति वफ़ादारी दिखाने की होड़ में पुलिस वालों ने बेकसूर लोगों पर बेबुनियाद झूठे आरोप लगाकर गिरफ्तार करके जेलों में ठूंसना शुरू कर दिया। लाठीचार्ज, आंसू गैस, पुलिस हिरासत में अमानवीय अत्याचार, इत्यादि पुलिसिया कहर ने अपनी सारी हदें पार कर दी। स्वयं इंदिरा गाँधी द्वारा दिए जा रहे सीधे आदेशों से बने हिंसक तानाशाही के माहौल को सत्ता प्रायोजित आतंकवाद कहने में कोई भी अतिश्योक्ति नहीं होगी। इस तरह के निरंकुश सरकारी अत्याचारों की सारे देश में झड़ी लग गयी। एक ओर आपातकाल की घोषणा के साथ लोकतंत्र की हत्या कर दी गयी और दूसरी ओर पुलिसिया कहर ने आम नागरिकों के सभी प्रकार के मौलिक अधिकारों को कुचल डाला। सत्ता द्वारा ढहाए जाने वाले...