राष्ट्र–जागरण के अग्रिम मोर्चे पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नरेन्द्र सहगल वर्तमान राजनीतिक परिवर्तन के फलस्वरूप हमारा भारत ‘नए भारत’ के गौरवशाली स्वरूप की और बढ़ रहा है। गत् 1200 वर्षों की परतंत्रता के कालखण्ड में भारत और भारतीयता की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व अर्पण करने वाले करोड़ों भारतीयों का जीवनोद्देश्य साकार रूप ले रहा है। भारत आज पुन: भारतवर्ष (अखंड भारत) बनने के मार्ग पर तेज गति से कदम बढ़ा रहा है। भारत की सर्वांग स्वतंत्रता, सर्वांग सुरक्षा और सर्वांग विकास के लिए युद्ध स्तर पर प्रयास हो रहे हैं। वास्तव में यही कार्य संघ सन् 1925 से बिना रुके और बिना झुके कर रहा है। विजयादशमी संघ का स्थापना दिवस है। अपने स्थापना काल से लेकर आज तक 94 वर्षों के निरंतर और अथक प्रयत्नों के फलस्वरूप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ राष्ट्र जागरण का एक मौन, परन्तु सशक्त आन्दोलन बन चुका है। प्रखर राष्ट्रवाद की भावना से ओतप्रोत डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार द्वारा 1925 में विजयादशमी के दिन स्थापित संघ के स्वयंसेवक आज भारत के कोने-कोने में देश-प्रेम, समाज-सेवा, हिन्दू-जागरण और राष्ट्रीय चेतना की अल...
भावी स्वर्णिम कश्मीर नरेन्द्र सहगल पाकिस्तान प्रेरित मजहबी आतंकवाद को जन्म और संरक्षण देकर कश्मीर को भारत की मुख्य राष्ट्रीय धारा से काटने वाली अलगाववादी व्यवस्था समाप्त हो गई है। भारतीय सविधान के अस्थाई अनुच्छेद 370 और कश्मीर के कुछ इनेगिने परिवारों कि राजनीतिक, आर्थिक और धार्मिक रोजी-रोटी सुरक्षित रखने का बंदोबस्त करने वाला अध्यादेश 35ए अब नहीं रहे। जम्मू-कश्मीर के सरकारी और गैर सरकारी भवनों, मंत्रियों, सरकारी अफसरों की गाड़ियों पर अलगाववादी लाल झंडा उतर गया है। भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा शान से लहरा रहा है। कश्मीर अब अपने सनातन गौरवशाली वैभव को प्राप्त करेगा,ऐसा विश्वास प्रत्येक भारतीय के मन में जाग उठा है। कश्मीर के गौरवशाली अतीत की संक्षिप्त जानकारी पूर्व के दो लेखो- ‘ धर्मरक्षक आध्यात्मिक कश्मीर ’ और ‘ वीरव्रती दिग्विजयी कश्मीर ’ में दी है। इसी तरह इस वैभव की पतनावस्था की जानकारी तीसरे लेख ‘कट्टरपंथी धर्मान्तरित कश्मीर’ नामक लेख में दी गई है । भारत के नंदनवन कश्मीर के वैभव और पतन के बाद अब भविष्य के ‘स्वर्णिम कश्मीर’ का खाका तैयार करने और उसके अमल पर चिंत...