Skip to main content

पाकिस्तान का मददगार बन रहा है भारतीय विपक्ष



भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अहमदाबाद की एक जनसभा में हुंकार भरते हुए कहा है कि वह पाताल में जाकर भी आतंकवादियों को खोज खोज कर मारेंगे। वायुसेना के चीफ मार्शल बी. एस. धनोआ ने भी कह दिया है कि आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने के लिए शुरू हुई जंग चलती रहेगी। 26 फरवरी को भारतीय वायुवीरों ने पाकिस्तान में घुस कर पाक प्रायोजित आतंकवाद के सबसे बड़े अड्डे को तबाह करके लगभग 300 दहशतगर्दों को जहन्नुम में पहुंचा दिया था । सारा देश इन रणबांकुरों के शौर्य के आगे नतमस्तक है ।

देश विदेश में भारतीय सेना की इस ऐतिहासिक विजय को सराहा जा रहा है । परन्तु भारत में सक्रिय मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस (आई) सहित महामिलावटी गठबंधन से सम्बंधित अधिकांश राजनीतिक दलों ने भारतीय सेना के शौर्य पर सियासत की रोटियां सेंकनी प्रारभ कर दी है । शर्म की सारी हदें पार करके कुर्सी की भूखे इन दलों के नेताओं ने सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगकर जहाँ एक ओर पाकिस्तान की मदद की है वहीं दूसरी ओर इन्होने भारत की सैनिक रणनीति को चौराहे पर लाकर भारतीय जवानों का मनोबल तोड़ने का अति घ्रणित प्रयास भी किया है।

ये अलग बात है कि इस तरह के अराष्ट्रीय तत्वों के बेशर्म बयानों से भारत के वीरव्रती सैनिको का मनोबल टूटने वाला नहीं है । वोट के लोभी शहीदों की शहादत पर जितनी सियासत करेंगे, उतना ही ये भारतवासियों की नजरों में गिरते चले जायेंगे । अपने राजनीतिक अस्तित्व पर स्वयं कुल्हाड़ी मार रहे इन स्वार्थी नेताओं को इतना भी पता नहीं चल रहा कि इनके बयानों से पाकिस्तान में घी के दिए जलाये जा रहे हैं।

सर्वश्री राहुल गाँधी, कपिल सिब्बल, नवजोत सिंह सिद्धू, पी, चिदम्बरम, रणदीप सुरजेवाला, दिग्विजय सिंह, मनीष तिवारी और उधर ममता बनर्जी, मायावती, अखिलेश यादव और केजरीवाल इत्यादि ऐसे नेता है जो अपने सियासी वजूद को बचाने के लिए भारत के यशस्वी एवं विजयी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सत्ता से उखाड़ने के नशे में देश की सुरक्षा और स्वाभिमान को भी खतरे में डालने से बाज नहीं आ रहे ।

“वायुसेना ने आतंकी मारे हैं या पेड़ गिराए हैं ? 300 सीट प्राप्त करने के लिए और कितने फौजी मरवाएगा नरेंद्र मोदी ? सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत दो ? प्रधानमंत्री देश को सच बताएं कि स्ट्राइक हुई है या नहीं? हुई है, तो कितने आतंकी मरे हैं? हवाई हमले, की दुनिया को सबूतों सहित जानकारी दी जाये ? पुलवामा आतंकी हमले को दुर्घटना बताने वाले यह भी पूछ रहे हैं कि 300 किलो आईईडी के साथ आतंकी पुलवामा कैसे पहुँच गये ?”

इस तरह के घटिया और उलटे-सीधे सवाल पूछकार अपना सियासी उल्लू सीधा करने में एकजुट हुए राजनीतिक दलों को शहीदों के बच्चों का चीत्कार भी सुनाई नहीं दे रहा । शहीदों की लाशों और उनकी विधवाओं के आसुओं पर राजनीतिक व्यापार करने वाले इन पेशावर नेताओं ने पुलवामा में हुए वीभत्स आतंकी हमले पर भी सवालिया निशान लगा दिए हैं ।

भाजपा सरकार और भारतीय सेना पर अविश्वास करने वाले ये ज़मीर से गिरे हुए वही लोग हैं जिनका देश की सफल विदेश नीति, सीमाओं की पुख्ता सुरक्षा, तरक्की की राह पर आगे बढ़ रही अर्थव्यवस्था और विकास की बुलंदियां छू रही नीतियों से कुछ भी लेना देना नही है । ये वही लोग हैं जो भारत विभाजन के जिम्मेदार है, जिन्होंने कश्मीर समस्या के बीज बोये हैं, जिन्होंने पाकिस्तान के साथ ताशकंद तथा शिमला जैसे समझौते करके हमारे विजयी जवानों की बहादुरी के साथ दगा किया है । देश के भीतर जातिवाद, फिरकापरस्ती और परिवारवाद का जहर घोलने वाले इन लोगों की आज पाकिस्तान की संसद में तारीफ़ हो रही है

हैरानी की बात है आज पाकिस्तान में एक भी राजनीतिक नेता, बुद्धिजीवी और पत्रकार नहीं मिलेगा जो इस अवसर पर वहां की सरकार और सेना की आलोचना कर रहा हो । परन्तु भारत में मोदी विरोधी दल और नेता पाकिस्तान की भाषा बोलकर वहां के मीडिया, संसद और सरकार को सामग्री की सप्लाई कर रहे है । शर्म के सारे रिकॉर्ड तोड़ डाले गये हैं....... क्रमशः जारी

नरेन्द्र सहगल
9811802320
वरिष्ठ पत्रकार और लेखक  

Comments

Popular posts from this blog

कश्मीर : अतीत से आज तक – भाग एक

धर्म-रक्षक आध्यात्मिक कश्मीर नरेन्द्र सहगल पिछले अनेक वर्षों से मजहबी कट्टरपन , भारत विरोध और हिंसक जिहाद के संस्कारों में पल कर बड़ी हुई कश्मीर घाटी की युवा पीढ़ी को भारत की मुख्य राष्ट्रीय धारा में लाना वर्तमान समय की सबसे बड़ी चुनौती है । इसके लिए कश्मीर के उज्ज्वल अतीत का इतिहास पढ़ाया जाना अतिआवश्यक है । तभी युवा कश्मीरियों को सनातन (वास्तविक) कश्मीरियत का ज्ञान होगा और वे हिंसक जिहाद के अमानवीय मक्कड़जाल से बाहर निकलकर अपने गौरवशाली अतीत से जुड़ सकेंगे । नीलमत पुराण में स्पष्ट वर्णन मिलता है कि भारत का प्राय: सारा क्षेत्र एक भयानक जलप्रलय के परिणाम स्वरूप पानी से भर गया था । कालान्तर में भारत के सभी क्षेत्र पानी निकल जाने के कारण जीवन यापन के योग्य हो गए । परंतु भारत के उत्तर में हिमालय की गोद में एक विशाल क्षेत्र अभी भी जलमग्न ही था । इस अथाह जल ने एक बहुत बड़ी झील का आकार ले लिया । कश्यप मुनि ने बसाया कश्मीर तत्पश्चात् इस झील में ज्वालामुखी फटने जैसी क्रिया हुई । झील के किनारे वाली पर्वतीय चोटियों में अनेक दरारें पड़ने से सारा पानी बाहर निकल गया ।...

कश्मीर की स्वतंत्रता और सुरक्षा में संघ का योगदान

नरेंद्र सहगल भारत की सर्वांग स्वतंत्रता, सुरक्षा एवं विकास के ध्येय के साथ आगे बढ़ रहे संघ के स्वयंसेवकों ने जम्मू-कश्मीर की रक्षा, भारत में विलय, अनुच्छेद 370 तथा 35/ए   का विरोध, भारतीय सेना की सहायता, कश्मीर से विस्थापित कर दिए गए लाखों हिंदुओं की सम्भाल, अमरनाथ भूमि आंदोलन,तिरंगे झण्डे के लिए बलिदान इत्यादि अनेकों मोर्चों पर स्वयंसेवकों ने मुख्य भूमिका निभाई है | वर्तमान में भारत सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 तथा 35/ए को हटाने, जम्मू कश्मीर का पुनर्गठन करने, लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश घोषित करने एवं जम्मू और कश्मीर का ‘पूर्ण राज्य’ का दर्जा वापस लेने जैसे साहसिक एवं ऐतिहासिक कदम उठाए गए हैं | इतनी प्रबल राजनीतिक इच्छाशक्ति के निर्माण में संघ शाखाओं में दिए जाने वाले राष्ट्रभक्ति के संस्कारों की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता | जम्मू-कश्मीर की स्वतंत्रता, सुरक्षा एवं विकास के सभी मोर्चों पर स्वयंसेवकों ने बलिदान देकर अपनी राष्ट्रभक्ति का परिचय दिया है | अतः वर्तमान में हुए ऐतिहासिक परिवर्तन को समझने के लिए स्वयंसेवकों द्वारा 72 वर्ष तक किए गए संघर्ष की जानक...

समग्र क्रांति के अग्रदूत योगेश्वर श्रीकृष्ण

                                                                           24 अगस्त जन्माष्टमी पर विशेष नरेन्द्र सहगल अधर्मियों, आतंकवादियों, समाजघातकों, देशद्रोहियों और भ्रष्टाचारियों को समाप्त करने के उद्देश्य से धराधाम पर अवतरित हुए योगेश्वर श्रीकृष्ण जन्म से लेकर अंत तक अपने निर्धारित उद्देश्य के लिए सक्रिय रहे। वे एक आदर्श क्रांतिकारी थे। कृष्ण के जीवन की समस्त लीलाएं/क्रियाकलाप प्रत्येक मानव के लिए प्रेरणा देने वाले अदभुत प्रसंग हैं। इस संदर्भ में देखें तो श्रीकृष्ण का सारा जीवन ही कर्म क्षेत्र में उतरकर समाज एवं राष्ट्र के उत्थान के लिए निरंतर संघर्षरत रहने का अतुलनीय उदाहरण है। आदर्शों/सिद्धान्तों को व्यवहार में उतारने का दिशा निर्देश है। योगेश्वर कृष्ण की जीवनयात्रा कंस के कारावास की कठोर कोठरी से प्रारम्भ होती है। जेल में यातनाएं सह रहे वासुदेव और देवकी की कोख से जन्म लेकर और...