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Showing posts from March, 2019

संघ की प्रतिनिधि सभा, भाग- 4

संघ साधना का शंखनाद- राष्ट्रहित सर्वोपरि अ खिल भारतीय प्रतिनिधि सभा में पारित सर्वसम्मत प्रस्ताव मात्र खानापूर्ति की श्रेणी में नहीं आते। एक क्रमबद्ध प्रक्रिया और गहरे विचारमंथन के पश्चात पारित किए जाने वाले इन प्रस्तावों में जनसत्ता और राजसत्ता दोनों के लिए दिशानिर्देश निहित होता है। ये प्रस्ताव संघ के हित के लिए नहीं , राष्ट्र के हित के लिए पारित होते हैं।     इस वार्षिक बैठक में जारी एक वक्तव्य में स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व वाली आज़ाद हिंद फौज द्वारा 21 अक्तूबर 1943 को सिंगापुर में आज़ाद हिंद सरकार का गठन हुआ। इस सरकार को जापान और जर्मनी सहित 9 देशों ने मान्यता दे दी थी। जापान और आज़ाद हिंद फौज के सैनिक अभियानों के फलस्वरूप अंडमान और निकोबार द्वीप समूह पर इस सरकार ने 30 दिसंबर 1943 को भारत का राष्ट्रीय ध्वज फहराकर भारत की आज़ादी का बिगुल बजा दिया था।     अंग्रेजों के विरुद्ध लड़े जा रहे स्वतंत्रता संग्राम के इस अंतिम निर्णायक अध्याय को इतिहास से गायब कर देने के कुप्रयास के विरुद्ध संघ का ये वक्तव्य एक एतिहासिक दस्तावेज़ है। आज़ाद हिं...

विश्व की एक अतुलनीय, ‘देवदुर्लभ संसद’

रा ष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनधि सभा की वार्षिक बैठक एक ऐसी अद्भुत चिंतनशाला है जिसमें संगठन से सम्बंधित विषयों के साथ राष्ट्रहित के महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तृत चर्चा होती है । अर्थात संघ केवल संघ के बारे में ही नहीं सोचता । यहाँ देश की सुरक्षा, सामाजिक एकता, सर्वांगीण विकास, सांस्कृतिक उत्थान, महिला सशक्तिकरण, शिक्षा जगत तथा जातिगत सौहार्द इत्यादि ज्वलंत समस्याओं पर भी चर्चा होती है। इस तरह संघ की प्रतिनिधि सभा को ‘संघ संसद’ कहने में कोई भी अतिश्योक्ति नहीं होगी । परन्तु ये संसद ऐसी इकाई नहीं है जिसके सदस्य बाहुबल, धनबल, छलकपट और चरित्र हनन जैसे हथियारों का इस्तेमाल करके अपने प्रतिद्वंदी को पटकनी देकर सांसद/ विधायक बनते हैं। इस तरह के नेता लोग अपने क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व नहीं करते । ये केवल अपने ही समर्थकों, जी-हुजूरियों और वोट बैंक का ध्यान रखकर व्यवहार करते हैं । ये लोग राष्ट्रहित के मुद्दों पर चिंतन न करके अपने राजनितिक अस्तिव की ही चिंता करते है । इन्हें देश के भविष्य की कम, अपनी कुर्सी के भविष्य की चिंता अधिक होती है । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की इस वरिष्ठ इ...

संगठित राष्ट्र-जीवन का लघु कुम्भ

प रम वैभवशाली राष्ट्र’ इस उद्देश्य के साथ भारत के प्रत्येक क्षेत्र में सक्रिय राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ सत्ता की राजनीति से अलिप्त रहते हुए एक अपराजेय जनसत्ता अर्थात राष्ट्रशक्ति के निर्माण में जुटा हुआ है । प्रत्यक्ष शाखा कार्य और अपने लगभग 40 अनुषांगिक सगंठनों के साथ संघ निरंतर अपने ध्येय की ओर आगे बढ़ रहा है । संघ के इस अति विशाल वास्तविक स्वरुप का प्रतिनिधित्व करती है अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की वार्षिक बैठक (8 मार्च से १० मार्च- ग्वालियर) ।   इस वार्षिक बैठक में संघ के वैचारिक आधार, अतुलनीय कार्यपद्धति और संघ का उद्देश्य इत्यादि को एक साथ, एक स्थान पर समझा और देखा जा सकता है । भारत के कोने-कोने से आये प्रतिनिधियों को एक परिवार के रूप में देखकर ऐसा लगता है मानो एक अनुशासित, संगठित और उन्नत राष्ट्र अपने लघु आकार में साकार हो गया हो । प्रयागराज कुम्भ के अवसर पर करोड़ों देशवासियों की जिस भावनात्मक एकजुटता के दर्शन होते है उसी का अनुभव इस वार्षिक बैठक में होता है । संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की ये बैठक वास्तव में एक लघु कुम्भ ही होता है जो 12 वर्षों के बाद नहीं प्रत...

पाकिस्तान का मददगार बन रहा है भारतीय विपक्ष

भा रत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने अहमदाबाद की एक जनसभा में हुंकार भरते हुए कहा है कि वह पाताल में जाकर भी आतंकवादियों को खोज खोज कर मारेंगे। वायुसेना के चीफ मार्शल बी. एस. धनोआ ने भी कह दिया है कि आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने के लिए शुरू हुई जंग चलती रहेगी। 26 फरवरी को भारतीय वायुवीरों ने पाकिस्तान में घुस कर पाक प्रायोजित आतंकवाद के सबसे बड़े अड्डे को तबाह करके लगभग 300 दहशतगर्दों को जहन्नुम में पहुंचा दिया था । सारा देश इन रणबांकुरों के शौर्य के आगे नतमस्तक है । देश विदेश में भारतीय सेना की इस ऐतिहासिक विजय को सराहा जा रहा है । परन्तु भारत में सक्रिय मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस (आई) सहित महामिलावटी गठबंधन से सम्बंधित अधिकांश राजनीतिक दलों ने भारतीय सेना के शौर्य पर सियासत की रोटियां सेंकनी प्रारभ कर दी है । शर्म की सारी हदें पार करके कुर्सी की भूखे इन दलों के नेताओं ने सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत मांगकर जहाँ एक ओर पाकिस्तान की मदद की है वहीं दूसरी ओर इन्होने भारत की सैनिक रणनीति को चौराहे पर लाकर भारतीय जवानों का मनोबल तोड़ने का अति घ्रणित प्रयास भी किया है। ये अलग बा...

ऐसे बाज नहीं आएगा पाकिस्तान

नापाक पाकिस्तान के जन्मकाल से लेकर आजतक के इतिहास से तो यही जगजाहिर हुआ है कि बार बार मार खाने के बाद भी पाकिस्तान बाज आने वाला नहीं है। इस दहशतगर्द मुल्क के खून में ही भारत और भारतीयता के प्रति नफरत के कीड़े मौजूद हैं। मजहबी कट्टरपन के इन कीड़ों को जितना मारो, ये बढ़ते ही जाएंगे। गत सात दशकों से आघात सह रहे भारत के पास अब एक ही विकल्प रह गया है - पाकिस्तान की तबाही तक जंग करो। नहीं तो फिर इस पड़ोसी मुल्क की दहशतगर्दी को सहन करते रहो। भारत की सरकार ने पाकिस्तान द्वारा निरंतर हमारे देश में किए जा रहे दहशतगर्द, हिंसक हस्तक्षेप को जड़ से उखाड़ने का निश्चय करते हुए ये चेतावनी दे दी है “भारत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा के हितों, सम्प्रभुता और अखंडता को देखते हुए सख्त व निर्णायक फैसला करने का अधिकार रखता है।” भारत ने सारे संसार के समक्ष ये भी स्पष्ट कर दिया है कि बालाकोट (पाकिस्तान) पर हुई सैन्य कार्रवाई पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर हमला था, ना कि पाकिस्तान पर। परन्तु भारतीय ठिकानों पर पाकिस्तान की वायुसेना द्वारा किया गया हमला भारत पर आक्रमण है। कुत्ते की दुम कुत्ते को जान से मार...